
भारतीय हॉकी महिला खिलाड़ी सलीमा टेटे

एजेंसी। जीवन में जब भी इंसान घर से बहार कदम रखता है या फिर जीवन के किसी भी क्षेत्र में कदम रखता है तो दो ही चीजें होती है जीत या हार। वास्तव में देखा जाय तो जीत आभार का उतना महत्व नहीं होता जितना महत्व इस बात का होता है की व्यक्ति ने खुद को सामने रखने का साहस दिखाया।
जहाँ आज की सुख सुविधाओं तड़क भड़कवाली जिंदगी में ऐसा लगता है कि मेधा को भी मात्र पैसों से बनाया जा सकता है, हम ये तो नहीं कह सकते कि ये बात पूर्णता गलत है पर ये अवश्य कहेंगे की मेधा कभी भी पैसों की, साधन की गुलाम नहीं होती वह जब निकलती है तो हजारों हजार अटकलों की बारो को तोड़ते हुए आगे बढ़ जाती है।
बहुत सी कहावते हैं, बहुत कुछ कहा जाता है उनमें एक बड़ी बढ़िया बात ये है- जहाँ चाह वहाँ राह। शायद ये बात इस असुविधा की जिंदगी में भी हॉकी की ऐसी मेधावी खिलाडी बन सकी लड़की सलीमा तेते पर बिलकुल सही बैठती है। हाँ ठीक है वह जीत नहीं सकी कोई बात नहीं उसने अपने ऐसे कठोर जीवन में भी विदेशों के सम्मुख देश को प्रस्तुत किया ये किसी भी जीत से भी बड़ी जीत है।