
रूसी राष्ट्रपति पुटिन द्वारा माइनस 14 डिग्री तापमान के बर्फ़ीले पानी में डुबकी

एजेंसी। कोई फर्क नहीं पड़ता की व्यक्ति हिन्दू है या मुसलमान, ईसाई है या बौद्ध- हर व्यक्ति चाहे किसी भी पद प्रतिष्ठा पर आरूढ़ क्यों न हो फिर उसके मन में, मन के किसी कोने में धर्म-संस्कृति, मान्यताएं और क्रिया कांड कहीं न कहीं अपना स्थान बनाये ही होते हैं। कई बार हम अपने रीति रिवाजों से उकताकर कहते हैं कि क्यों ये रूढ़िवादी परम्पराओं को पाल रखा है, हटाओ इनसे क्या होता है? पर ऐसा नहीं की ये हमारे साथ ही होता है बल्कि सच तो ये है कि ये सब मान्यताये अलग अलग रूपों में दुनिया भर में व्याप्त हैं। सभी अपने अपने किस्म से अपने अपने रश्मो रिवाजों को मानते है। संदर्भ है राष्ट्रपति पुटिन द्वारा बर्फीले पानी में डुबकी लगाने का।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुटिन ने मंगलवार 19 जनवरी को माइनस 14 डिग्री तापमान में बर्फीले पानी में आस्था की डुबकी लगाई। रूसी राष्ट्रपति ने फीस्ट डे यानी इपिफनी (एपिफनी) के मौके पर ईसाई धर्म के अनुष्ठान के रूप में मॉस्को में बर्फीले पानीवाले पुल में डुबकी लगाई। रूस में इपिफनी के मौके पर बर्फीले पाने में डुबकी लगाने को पवित्र माना जाता है।
यहां बताना जरूरी है कि ईसाई धर्म के पवित्र पर्व इपिफनी के मौके पर ईसाई धर्म के मानने वाले लोग बर्फीले पानी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। 68 साल के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इसी परंपरा के तहत डुबकी लगाई है। इपिफनी के अवसर पर इसाई धर्म को मानने वाले लोग पारंपरिक रूप से किसी बर्फीले पानी वाले नदी, तालाब या पुल में डुबकी लगाते हैं।